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एपिसोड 47 — सुषुप्ति का रहस्य | स्वामी निरंजनजी पॉडकास्ट विद् सैम योगी

छान्दोग्य उपनिषद् के इस खंड में स्वामी निरंजनजी महाराज बताते हैं कि जैसे मधुमक्खियाँ नाना पुष्पों से रस लाकर मधु में एकत्व प्राप्त कराती हैं, वैसे ही जीव गहन निद्रा में सत् में लीन होकर अपनी पूर्व अवस्थाओं को भूल जाता है। जाग्रत होने पर वही जीव अपने संचित कर्मों के अनुसार पुनः विभिन्न योनियों और लोकों में अनुभव करता है। यह रहस्य हमें एकत्व, कर्मफल और पुनर्जन्म की गहरी समझ प्रदान करता है।

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