🕉️एपिसोड 62 — श्रीनृसिंहोत्तर तापनीय उपनिषद् - नवम खण्ड | स्वामी निरंजनजी पॉडकास्ट - September 26, 2025🕉️
यदि तुम्हें द्वैत दिखायी देता है तो तुम आत्मज्ञ नहीं हो। क्योंकि यह आत्मा असङ्ग है। जो असङ्ग है उसे द्वैत का दर्शन भी नहीं हो सकता।
जो कुछ दिखाई देता है वह समस्त माया, तुम आत्मस्वरूप ब्रह्म में ही अध्यस्त है। और उस समस्त प्रपंच रज्जु में सर्प की भ्रान्ति ही है; इस अध्यस्त जगत् के अधिष्ठान तुम ही हो। अस्तु अधिष्ठान होने के नाते तुम्हें अध्यस्त माया प्रपंच से भयभीत नहीं होना चाहिये।
— वेदान्त केशरी स्वामी निरंजनजी महाराज
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