🌸 दिन 286 · पोस्ट 2451 — असहियामा सकुरा से लेकर भारत की शरद ऋतु तक 🌿🍁
कल मैंने देखा कि苔 (मॉस) और तने के बीच में जो सफ़ेद परत थी, वह आज कुछ कम हो गई है। इससे थोड़ी राहत मिली। फूल की कलियाँ भी स्वस्थ हैं। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो वे फिर से चुपचाप खिल सकती हैं। 🌱
जापान के प्राकृतिक प्रतीक
• सकुरा (चेरी ब्लॉसम): क्षणभंगुर सौंदर्य और जीवन की नाजुकता का प्रतीक।
• कोयो (紅葉): जापान की पतझड़ ऋतु में पहाड़ों और मंदिरों को लाल और सुनहरे रंगों में रंग देता है — ख़ासकर क्युषू, निक्को और क्योटो के मॉस मंदिरों में।
• बोंसाई: समय और धैर्य का प्रतीक — यह हमें रुककर प्रकृति को देखने की शिक्षा देता है।
भारत की शरद ऋतु की सुंदरता
भारत में भी शरद ऋतु की सुंदरता के अपने अद्भुत रूप हैं।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और सिक्किम जैसे राज्यों में कुछ पेड़ पतझड़ में रंग बदलते हैं।
कश्मीर के चिनार वृक्ष लाल और नारंगी रंगों में चमकते हैं — यह जापान के कोयो के समान ही मन को भा जाते हैं।
भारत और जापान की साझा भावना
• दोनों देशों में ऋतुओं का उत्सव प्राकृतिक सौंदर्य के माध्यम से मनाया जाता है — जापान में हनामी, भारत में पहाड़ी स्थलों की सैर।
• चाहे वह क्योटो के शांत बोंसाई हों या श्रीनगर के ऊँचे चिनार — दोनों ही समय की कहानी कहते हैं।
🌿 जब मैं इस बोंसाई का ध्यान रखता हूँ, तो यह केवल पौधे की देखभाल नहीं होती — यह एक संवाद है, मौन में।
भारत और जापान में, वृक्ष कुछ न कुछ कह रहे हैं।
🙏 इस ऋतु यात्रा में साथ चलने के लिए धन्यवाद।
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