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Description

Recited by Irfan for Haider Rizvi

मैं क्या करूँ

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शराब के जो तीन जाम न पियूं

तो क्या करूँ

मैं रात में भी ना जियूं

तो क्या करूँ

किसी को सोचता रहूं ?

के चाँद देखता रहूं ?

या खुद से भागता रहूं ?

सुनेगा कौन किससे अब मैं क्या कहूं

कि सुनने वाले बहरे हैं

जो आंख ले के आये हैं

वो कुछ भी देखते नहीं

तुम्हारे बिन ये रौशनी उदास है

ये चाँद बदहवास है

तो किस लिए

मैं तीन जाम ना पियूं

मैं रात में भी ना जियूं

*

Photo courtesy FB Profile of Annu Rizvi