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Description

पागलपन एक व्यापक समाज की एक सामूहिक अवस्थिति है जो अचानक इतिहास और समय के किसी बिंदु पर किसी एक व्यक्ति में केंद्रीभूत और उसके माध्यम से अभिव्यक्त हो जाती है। क्या इसी तर्ज पर हम यह मान सकते हैं कि ग्लानि का बोध या जो काम करने चाहिए थे उन्हें न कर पाने का एहसास भी एक सामूहिक भाव है जो कभी किसी एक जीवित या अजीवित इकाई में व्यक्त हो सकता है। अगर ऐसा है तो गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता 'अँधेरे में' इसी ग्लानिबोध की कविता है। 

1960 से 1985 तक की कविता पर हिंदी के कवि संपादक मंगलेश डबराल का व्याख्यान। नई दिल्ली, 2012 

Produced and Curated by Irfan

Cover Image Courtesy: Siraj Saxena

Cover Art: Irfan