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Description

2019 Recording, Kushinagar, Uttar Pradesh

धनदेवी पुनीत ने मॉरीशस की गीत गवाई को एक नया जीवन दिया है। क़रीब 180 साल पहले भारत से मॉरीशस आदि देशों में ले जाए गए भारतीयों ने यहां का जो संगीत और रीति रिवाज वहां जमाए, आज उनके वंशज अपनी विरासत को लेकर सजग हैं और 'गीत गवाई' परम्पराओं को संजोने का दूसरा नाम है। पहली दिसंबर 2016 को यूनेस्को ने मॉरीशस की जिस गीत गवाई को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी है, धन देवी उसकी अगुवाई कर रही हैं।

गिरमिटिया के नाम से बुलाए जाने वाले भारतीय मुख्यतः उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाकों से गए थे जो अपने साथ अपनी धार्मिक मान्यताएं, तीज त्यौहार, रीति रिवाज, लोक गीत ,खान पान, रहन सहन और अपनी लोकधारा साथ ले गए थे। भोजपुरी भाषा और संस्कृति के इन लोक गीतों में लगन गीत, संध्या, महादेव गीत,  धरती बांधाल, ढोलक पुजाइ, सुहाग गीत, झूमर और अनेक श्रम गीत मॉरीशस की गिथारिनें गाती रही हैं जिनको आधार बनाकर यहां 50 ऐसे स्कूल खोले जा चुके हैं  जिनमें पुरानी पीढ़ी से यह संगीत नयी पीढ़ी को स्थानांतरित किया जा रहा है। धनदेवी इस काम की केंद्रीय भूमिका में हैं।

Photo and Podcast production: Irfan