"हेलेन उस समय चौदह पंद्रह साल की बड़ी ही सुंदर लड़की थी। बस, गुड़िया सी लगती थी। वह अपनी मां के साथ बर्मा से नयी नयी आई थी। उस समय उसे न नाचना आता था, न हिंदी बोलनी आती थी। शिक्षा की ओर से भी वह कोरी थी। लेकिन इस सब कुछ के बावजूद, वह फिल्मी भेड़ियों को बहुत जल्द पहचान गई। मां को तो पैसों के लालच में भविष्य उजला प्रतीत हुआ पर हेलेन को नहीं। वह जल्दी ही अपनी मां से पीछा छुड़ाकर प्रोड्यूसर पीएम अरोड़ा के साथ जुड़ गई। यद्यपि वह उम्र में उसके पिता के बराबर थे। इस प्रकार वह न सिर्फ सुरक्षित होकर जीवन बिताने लगी बल्कि नृत्य कला और अभिनय में भी उसने भरपूर विकास किया। मेरे दिल में हेलेन के व्यक्तित्व के लिए गहरा सम्मान है। अगर वह मां का कहना मानकर पैसा कमाने वाली मशीन बन जाती तो कहीं की न रहती।"
~ बलराज साहनी, मेरी फ़िल्मी आत्मकथा
(प्रसिद्ध अभिनेता और लेखक बलराज साहनी ने अपनी किताब 'मेरी फ़िल्मी आत्मकथा' अपनी मृत्यु से एक साल पहले यानी 1972 पूरी की थी। यह सबसे पहले अमृत राय द्वारा सम्पादित पत्रिका 'नई कहानियां' में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुई। फिर उनके जीवन काल में ही यह पंजाबी की प्रसिद्ध पत्रिका प्रीतलड़ी में भी यह धारावाहिक ढंग से छपी।
1974 में जब यह किताब की शक्ल में आई तो फिल्म प्रेमियों और सामान्य पाठकों ने इसे हाथों हाथ लिया।)
Audio Edited by Narendra Singh Dhakad
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