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Description

"दोपहर का समय था। गर्मी बहुत थी। कैमरा एक ट्रक में छिपाकर लगाया गया था। सारी यूनिट उस ट्रक पर सवार थी। रुमाल का इशारा पाते ही मैं रिक्शा लेकर दौड़ पड़ता। कभी सवारी उतारता, कभी नई सवारी लेता। कभी दो सवारियां, कभी तीन। प्यास के मारे बुरी हालत थी लेकिन ट्रकवालों को रोकना संभव नहीं था। एक जगह सड़क के किनारे मैंने एक पंजाबी सरदार का ढाबा देखा तो कुछ क्षणों के लिए रिक्शा एक ओर खड़ा करके भागता हुआ वहां गया और बड़े अपनत्व से पंजाबी में बोला भराजी बहुत सख्त प्यास लगी है, एक गिलास पानी पिलाने की किरपा कीजिए।

'दफा हो जा तेरी बहन की...' उसने मुझे घूँसा दिखाकर कहा।

एक पंजाबी आदमी रिक्शा चलाने का घटिया काम करे, यह उसे शायद सहन नहीं हो पाया था।  मेरे मन में आया कि उसे अपनी असलियत बताऊं और दो-चार खरी-खोटी सुनाऊँ पर इतना समय नहीं था।

एक पानवाले की दुकान पर मैंने गोल्ड फ्लैक सिगरेट का पैकेट मांगा और साथ ही पाँच रुपये  का नोट उसकी ओर बढ़ाया। पानवाले ने कुछ देर मेरा हुलिया देखा, फिर नोट लेकर उसे धूप की ओर उठाकर देखने लगा कि कहीं नकली न हो। आखिर कुछ देर सोचने के बाद उसने मुझे सिगरेट का पैकेट दिया। अगर वह मुझे पुलिस के हवाले भी कर देता तो कोई हैरानी ना होती।  चौरंगी में शूटिंग करते समय भीड़ जमा होने लगी थी। विमल राय ने मुझे और निरूपा रॉय को कुछ देर के लिए किसी होटल में चले जाने को कहा। हम फर्षो रेस्त्रां में दाखिल हुए तो वेटरों ने हमें धक्के देकर बाहर निकाल दिया। हम भारतीय सभ्यता और उसके मानवतावादी मूल्यों की डींगें मारते नहीं थकते, पर हमारे देश में सिर्फ पैसे की क़द्र है, आदमी की क़द्र  नहीं है। यह बात मैंने उस शूटिंग के दौरान साफ तौर पर देख ली थी। हमारे देश में गरीब आदमी के पास पैसा हो तो भी उसे चीज नहीं मिलती यह हमारी सभ्यता की विशेषता है।"

~ बलराज साहनी, मेरी फ़िल्मी आत्मकथा (पॉडकास्ट एपिसोड 18 से अंश)

(प्रसिद्ध अभिनेता और लेखक बलराज साहनी ने अपनी किताब 'मेरी फ़िल्मी आत्मकथा' अपनी मृत्यु से एक साल पहले यानी 1972 पूरी की थी। यह सबसे पहले अमृत राय द्वारा सम्पादित पत्रिका 'नई कहानियां' में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुई। फिर उनके जीवन काल में ही यह पंजाबी की प्रसिद्ध पत्रिका प्रीतलड़ी में भी यह धारावाहिक ढंग से छपी।

1974 में जब यह किताब की शक्ल में आई तो फिल्म प्रेमियों और सामान्य पाठकों ने इसे हाथों हाथ लिया।)

Narrator, Producer and Cover Designer : Irfan