नंदलाल बोस ने कहा "एक बात हमेशा याद रखना हज़ार रुपये खर्च करके कोई बुद्धू भी नाटक खेल सकता है। कलाकार वही है जो वही नाटक दस रुपये में खेल कर दिखा दे।"
(बलराज साहनी की किताब 'मेरी फ़िल्मी आत्मकथा' सबसे पहले अमृत राय द्वारा सम्पादित पत्रिका 'नई कहानियां' में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुई।
बलराज जी के जीवन काल में ही यह पंजाबी की प्रसिद्ध पत्रिका प्रीतलड़ी में भी यह धारावाहिक ढंग से छपी।
1974 में जब यह किताब की शक्ल में आई तो फिल्म प्रेमियों और सामान्य पाठकों ने इसे हाथों हाथ लिया।)
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