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Description

The full text of an article published in Kathan 2002 titled Srijanatmakta Hamesha Samajik Hoti Hai. Irfan's Voice "सृजनशीलता केवल कवियों, गायकों, चित्रकारों या किसी और तरह के कलाकारों में ही नहीं, बल्कि सभी मनुष्यों में होती है। और वह कोई व्यक्तिगत गुण नहीं, मनुष्य मात्र का गुण है। आप गोरे हैं या काले, हिंदू है या मुसलमान, ऊंची जाति के हैं या नीची जाति के, एक भाषा बोलते हैं या दूसरी, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप भाषा को समाज से लेते हैं और उसे अपने तौर पर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन उसका इस्तेमाल आप दूसरों से बात करने या संप्रेषण के लिए करते हैं। यह एक सामाजिक क्रिया है और बड़ी सर्जनात्मक क्रिया है। इसलिए सृजनशीलता के बारे में पहली और बुनियादी बात यह है कि वह हमेशा सामाजिक होती है। भाषा के जरिए आप समाज से अपने संबंध बनाते हैं- प्यार के, नफरत के, घर के, बाहर के, बौद्धिक, भावनात्मक, शारीरिक सब तरह के संबंध। और संबंध बनाना बड़ा ही सृजनात्मक कार्य है। आप मन ही मन किसी से प्रेम करते हैं और कहते नहीं हैं, तो उस व्यक्ति से आपका कोई संबंध नहीं बनता। इसलिए मैं अपने छात्रों से कहता हूं कि जो तुमने किताब में पढ़ा है, उस पर बात करो क्योंकि जो बात तुम कह नहीं सकते वह तुम सोच भी नहीं सकते। अगर तुम्हारा ख्याल है कि तुमने सोचा तो है, पर तुम उसे कह नहीं पा रहे हो, तो तुम्हारा ख्याल गलत है। असल में तुमने सोचा ही नहीं है। जो तुम ने किताब में पढ़ा है, उससे तुम्हारा संबंध बना ही नहीं है।" सृजनशीलता हमेशा सामाजिक होती है। ~प्रो. एजाज़ अहमद साभार कथन Image Courtesy R Ravindran Cover Art Irfan. Bank Name: State Bank Of India Name: SYED MOHD IRFAN Account No: 00000032188719331 Branch: State Bank of India, Sansadiya Saudh, New Delhi IFSC–SBIN0003702 UPI/Gpay ID irfan.rstv@oksbi