इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान् भी किया और उसको वह नाम प्रदान किया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि यीशु के नाम पर प्रत्येक घुटना टिके, चाहे वह स्वर्ग में हो या पृथ्वी पर या पृथ्वी के नीचे, और परमेश्वर पिता की महिमा के लिए प्रत्येक जीभ अंगीकार करे कि यीशु ख्रीष्ट ही प्रभु है।
क्रिसमस परमेश्वर की सबसे सफल असफलता के आरम्भ को चिह्नित करता है। उसे पराजित प्रतीत होने वाली परिस्थिति के द्वारा अपनी सामर्थ्य को प्रदर्शित करने में सदा आनन्द प्राप्त होता है। वह युक्तिपूर्ण विजय प्राप्त करने के लिए सुनियोजित रीति से पीछे हटता है।
पुराने नियम में यूसुफ जो याकूब के बारह पुत्रों में से एक था, उससे स्वप्न में महिमा और सामर्थ्य प्राप्ति की प्रतिज्ञा की गयी थी (उत्पत्ति 37:5-11)। परन्तु उस विजय को प्राप्त करने के लिए उसे मिस्र में दास बनना पड़ा। और मानो कि इतना पर्याप्त नहीं था, इसलिए जब उसकी खराई के कारण उसकी स्थिति में सुधार हुआ, तो उसे दास से भी निकृष्ट बना दिया गया: अर्थात् एक बन्दी।
परन्तु यह सब उसकी योजना के अन्तर्गत था। परमेश्वर द्वारा बनाई गई योजना स्वयं उसकी और उसके परिवार की भलाई और अन्ततः सम्पूर्ण जगत की भलाई के लिए थी! क्योंकि वहाँ कारागार में वह फि़रौन के प्याऊ से मिला, जो अन्ततः उसे फि़रौन के पास ले आया जिसने उसे मिस्र पर अधिकारी नियुक्त कर दिया। और अन्ततः, उसका स्वप्न सच हो गया। उसके भाई उसके सामने झुक गए, और उसने उन्हें भुखमरी से बचाया। महिमा प्राप्ति के लिए यह कितना असम्भावित मार्ग है!
परन्तु यही परमेश्वर की रीति है—यहाँ तक कि उसके पुत्र के लिए भी। उसने अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया कि दास का स्वरूप धारण कर लिया। एक दास से भी निकृष्ट— अर्थात् एक बन्दी का—और उसे घात किया गया। परन्तु यूसुफ के समान, उसने अपनी खराई बनाए रखी। “इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान् भी किया और उसको वह नाम प्रदान किया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि यीशु के नाम पर प्रत्येक घुटना टिके, चाहे वह स्वर्ग में हो या पृथ्वी पर या पृथ्वी के नीचे” (फिलिप्पियों 2:9-10)।
और हमारे लिए भी परमेश्वर की यही रीति है। हमसे महिमा की प्रतिज्ञा की गयी है—जैसा कि रोमियों 8:17 में कहा गया है कि यदि हम उसके साथ दुःख उठाएंगे। तो ऊपर जाने का मार्ग नीचे की ओर से है। तथा आगे जाने का मार्ग पीछे की ओर से है। सफलता का मार्ग परमेश्वरीय रीति से नियुक्त असफलताओं के माध्यम से ही है। वे सदैव विफलता के समान दिखाई देंगे और प्रतीत होंगे।
परन्तु यदि यूसुफ और यीशु हमें इस क्रिसमस पर किसी बात की शिक्षा देते हैं, तो वह यह है: शैतान और पापी लोगों ने जिसके द्वारा बुराई करने की ठानी थी, “परमेश्वर ने उसी को भलाई के लिए ले लिया!” (उत्पत्ति 50:20)।
लो नया साहस हे भयपूर्ण सन्तो,
हो भयभीत तुम जिन घटाओं से
करुणापूर्ण हैं वे और बरसेंगे
तुम्हारे सिर पर आशीषों जैसे।