क्या परमेश्वर अपने शत्रुओं से प्रेम करता है
Does God Love His Enemies?
कुन्दन नाम के एक श्रोता ने एक प्रश्न पूछा है: “पास्टर जॉन, मैं कुछ समय से marjsatyajeevan.com पर अधिक से अधिक संसाधनों का लाभ उठा रहा हूँ। और उन सभी बातों में एक बात जो मेरे लिए सबसे अलग दिखाई दी है, वह है परमेश्वर द्वारा स्वयं को ऊँचा उठाना। आप चर्चा करते हैं कि परमेश्वर हमारे लिए जो सबसे प्रेमपूर्ण कार्य कर सकता है, वह है स्वयं को ऊँचा उठाना, जबकि ऐसा करना किसी और के लिए पाप होगा।
मेरा प्रश्न लगभग इसके विपरीत है। क्या ऐसी बातें हैं जिन्हें परमेश्वर ने हमें करने की आज्ञा दी है, किन्तु यदि परमेश्वर उन्हें करता है, तो वे पाप ठहरेंगे? विशेष रूप से, जब यीशु हमें अपने शत्रुओं से प्रेम करने के लिए कहता है। क्या परमेश्वर के लिए शैतान और पतित स्वर्गदूतों जैसे गैर-मानवीय शत्रुओं से प्रेम करना पाप होगा? अथवा क्या वह उनसे प्रेम करता है? पास्टर जॉन आप कुन्दन भाई से क्या कहेंगे?
मुझे इन दोनों प्रश्नों को एक-एक करके उत्तर देने दीजिए, क्योंकि पहला प्रश्न जो मैं सुनता हूँ, मेरे विचार से पवित्रशास्त्र से उसका उत्तर देना स्पष्ट और सरल है। दूसरा प्रश्न, इतना सरल नहीं है। सबसे पहले, कुन्दन कहते हैं: क्या ऐसी बाते हैं जिन्हें परमेश्वर ने हमें करने की आज्ञा दी है, किन्तु यदि परमेश्वर उन्हें करता है, तो ये पाप होंगे? और इसका उत्तर स्पष्ट रीति से है: हाँ। मैं ऐसी कई बातों के विषय में विचार कर सकता हूँ जिसे परमेश्वर हमें करने की आज्ञा देता है जो कि परमेश्वर के लिए करना पाप होगा। याकूब 5:16 में वह हमें एक दूसरे से अपने पापों को मानने के लिए आज्ञा देता है: “तुम परस्पर अपने पापों को मान लो और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो।” परमेश्वर के लिए अपने पापों को मानना पाप होगा, क्योंकि उसमें कोई पाप नहीं है, और यदि वह ऐसा करता है तो यह पाखण्ड होगा।