परमेश्वर की सेवा मत करो
Don’t Serve God.
“यहोवा की आँखें समस्त पृथ्वी पर फिरती रहती हैं कि जिनका हृदय सम्पूर्ण रीति से उसका है वह उनके प्रति अपने सामर्थ्य को दिखाए।” (2 इतिहास 16:9)
परमेश्वर इस संसार में किसे खोज रहा है? सहायकों को? नहीं। सुसमाचार एक “सहायता चाहिए” का आग्रह नहीं है। न ही यह ख्रीष्टीय सेवा के लिए कोई बुलाहट है।
परमेश्वर यह नहीं चाहता है कि लोग उसके लिए कार्य करें। “यहोवा की आँखें समस्त पृथ्वी पर फिरती रहती हैं कि जिनका हृदय सम्पूर्ण रीति से उसका है वह उनके प्रति अपने सामर्थ्य को दिखाए” (2 इतिहास 16:9)। वह स्वयं एक कुशल कार्यकर्ता है। वह स्वयं उन्हें बुलाता है, जिनके कन्धे बोझ से दबे हों। वह सामर्थी है। और वह भिन्न रीति से इसे दिखाना चाहता है। यही तो परमेश्वर को इस पृथ्वी के तथा-कथित ईश्वरों से भिन्न करता है: वह हमारे लिए कार्य करता है। यशायाह 64:4, “क्योंकि प्राचीनकाल ही से न किसी ने सुना, न ही कानों तक उसकी चर्चा पहुंची और न आँखों से किसी ने तुझे छोड़ ऐसे परमेश्वर को देखा जो अपनी बाट जोहने वालों के लिए कार्य करता हो।”