अपनी मँगनी को व्यर्थ न जाने दें
Don’t Waste Your Engagement.
शुद्धतावादी (प्यूरिटन Puritans) लोगों ने पवित्रशास्त्र में जिन महान बातों को देखा था, उनमें से एक मुख्य बात थी प्रसन्नता और पवित्रता के बीच पाया जाने वाला सम्बन्ध। उनके लिए, पूर्ण रूप से पवित्र होने का अर्थ, पूर्ण रूप से प्रसन्न होना था। पास्टर जॉन, आप प्रसन्नता और पवित्रता के बीच के इस सम्बन्ध को कैसे व्यक्त करेंगे?
मेरी सोचने की रीति थोड़ी भिन्न है, क्योंकि जितना अधिक मैं ख्रीष्टीय सुखवाद (Hedonism) के विषय में विचार करता हूँ, उतना ही अधिक मैं इस सम्बन्ध को व्यक्त करने में भी सावधान रहता हूँ। प्रसन्नता, पवित्रता का एक भाग है जिसका अर्थ है कि यदि आपने यह वर्णन करने का प्रयास किया कि एक पवित्र व्यक्ति होने का अर्थ क्या है और यदि आपने परमेश्वर में पायी जाने वाली प्रसन्नता की बात नहीं की, तो आप इसे सही रीति से वर्णन ही नहीं कर पाएँगे। बिना परमेश्वर में प्रसन्नता के, पवित्रता जैसी कोई बात है ही नहीं। क्योंकि पवित्रता का सारतत्व परमेश्वर में पायी जाने वाली प्रसन्नता है।
परमेश्वर की पवित्रता का अर्थ है कि परमेश्वर का प्राणी सर्वोच्च रीति से बहुमूल्य है। और यही उसकी पवित्रता है। परमेश्वर अपने असीम रीति से हर्षपूर्ण होने के गुण में असीम रीति से हर्षित होता है, अन्यथा वह झूठा ठहरेगा तथा वह अधर्मी होगा। इसीलिए उसकी पवित्रता का अर्थ है असीम रूप से हर्षपूर्ण होना और अपने असीम रीति से हर्षपूर्ण होने के गुण में असीम रीति से हर्षित होना।
“यदि आप प्रसन्नता के बिना पवित्रता को समझाने का प्रयास करते हैं तो आप असफल होंगे। क्योंकि पवित्रता का सारतत्व ही है परमेश्वर में पायी जाने वाली प्रसन्नता।”