_कैसे अपने प्राण से घृणा करें
How to Hate Your Life.
मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है, परन्तु यदि मर जाता है तो बहुत फल लाता है। जो अपने प्राण को प्रिय जानता है वह उसे खो देता है, और जो अपने प्राण को इस जगत में अप्रिय जानता है वह उसे अनन्त जीवन तक बचाए रखेगा। (यूहन्ना 12:24-25)
“जो अपने प्राण को इस जगत में अप्रिय जानता है वह उसे अनन्त जीवन तक बचाए रखेगा।” इसका क्या अर्थ है?
इसका अर्थ, कम से कम, यह है कि आप इस जगत में अपने जीवन के विषय में अधिक नहीं सोचते हैं। दूसरे शब्दों में, इस से अधिक अन्तर नहीं पड़ता है कि इस जगत में आपके जीवन के साथ क्या होता है।
यदि मनुष्य आपके विषय में अच्छा बोलें, तो इससे अधिक अन्तर नहीं पड़ता है।
यदि वे आपसे घृणा करते हैं, तो इससे अधिक अन्तर नहीं पड़ता है।
यदि आपके पास बहुत वस्तुएँ हैं, तो इससे अधिक अन्तर नहीं पड़ता है।
यदि आपके पास कम वस्तुएँ हैं, तो इससे अधिक अन्तर नहीं पड़ता है।
यदि आप सताए जाते हैं या आपके विषय में झूठ बोला जाता है, तो इससे अधिक अन्तर नहीं पड़ता है।
यदि आप प्रसिद्ध हैं या चाहे अज्ञात हैं, तो इससे अधिक अन्तर नहीं पड़ता है।
यदि आप ख्रीष्ट के साथ मर चुके हैं, तो इन सब बातों से कोई भी अन्तर नहीं पड़ता है।