हमारी दो सर्वाधिक अधारभूत आवश्यकताएँ
Two of Our Deepest Needs.
थिस्सलुनीकियों की कलीसिया को, जो हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह में है। (2 थिस्सलुनिकियों 1:1)
एक कलीसिया के रूप में हम पिता “में” और प्रभु “में” पाए जाते हैं। इसका अर्थ क्या है?
“पिता” शब्द में प्राथमिक रीति से निम्नलिखित बातें अन्तर्निहित हैं: देखभाल और लालन-पालन और सुरक्षा और प्रावधान और अनुशासन। तो, पिता “में” पाए जाने का मुख्य रीति से अर्थ है कि स्वर्गीय पिता के रूप में परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा के भीतर पाया जाना।
एक जो अन्य उपाधि है वह है प्रभु: हम प्रभु यीशु ख्रीष्ट “में” पाए जाते हैं। “प्रभु” शब्द में प्राथमिक रीति से अन्तर्निहित है अधिकार और अगुवाई और स्वामित्व। तो मुख्य रीति से प्रभु “में” पाए जाने का अर्थ है: यीशु हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रभु की देखरेख में, उसके अधिकार के अधीन और उसके धन के रूप में पाया जाना।
तो पौलुस थिस्सलुनिकियों की कलीसिया का अभिवादन इस रीति से करता है कि वह उनको यह स्मरण दिलाए कि वे एक परिवार हैं (एक पिता के देखभाल के अन्तर्गत) तथा वे दास भी हैं (एक प्रभु की अधीनता में)। पिता तथा प्रभु के रूप में परमेश्वर के ये दो विवरण, और इसी रीति से परिवार और दासों के रूप में कलीसिया का विवरण, हमारी दो सर्वाधिक अधारभूत आवश्यकताओं के समतुल्य है।