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Description

प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब, शिक्षा और शिक्षण पर जो चोट करती है, वह जितनी सहज लगती है उतनी ही सटीक और सबल भी है। जो सुधार हमारे तंत्र में आज़ादी से पहले आने चाहिए थे उनकी दरकार आज भी है। इस कहानी में जितना व्यंग्य है उतनी ही गंभीरता भी।