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Description

इस अध्याय में भगवान शिव की कृपा से गुणनिधि के कुबेर पद पर आरूढ़ होने की प्रेरणादायक कथा वर्णित है। गुणनिधि, जो पूर्वजन्म में अपने कर्मों के कारण दुखी और पापमय जीवन जी रहा था, अपनी भक्ति, तपस्या और शिव भक्ति के बल पर एक अद्वितीय स्थान प्राप्त करता है।

शिवजी की उपासना में गुणनिधि का कठोर तप, शिवलिंग की पूजा, और दिव्य शक्ति उमा के दर्शन के अद्भुत प्रसंगों को विस्तार से बताया गया है। भगवान शिव उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे कुबेर नाम, धन के स्वामी और यक्षों के अधिपति का वरदान देते हैं।

इस कथा के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि भगवान शिव की भक्ति, तप और साधना से समस्त पाप नष्ट हो सकते हैं और जीवन में उच्चतम लक्ष्य की प्राप्ति संभव है।