वो बचपन से ही अलग थी... उसे लड़कों के खेल खेलना अच्छा लगता था... वो अपने भाई की तरह पैंट शर्ट पहनना चाहती थी... वो ज़माने के साथ साथ खुद से भी एक लड़ाई लड़ रही थी...
सालों तक दर्द, घुटन, उलझन, आंसुओं, संघर्ष से भरी अस्तित्व की लड़ाई को आखिरकार 'डिम्पल मिथिलेश चौधरी' ने जीत लिया और बनाई अपनी एक अलग पहचान।