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Description

आज़ादी के पहले और बाद के सिनेमा में एक बड़ा बदलाव ये था कि अब निर्माता-निर्देशक बिना किसी डर के अपनी बात रुपहले पर्दे पर उतार सकते थे..जबकि अंग्रेज़ों की हुकूमत में तमाम बंदिशें थीं..तमाम फिल्मी मैग्ज़ीन में कहा कि गया कि साल 1947 सिर्फ देश की आज़ादी का साल नहीं था बल्कि फिल्मकारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी का भी साल था
15 अगस्त साल 1947, इस दिन हमें आज़ादी तो मिली मगर बंटवारे का दर्द भी मिला..करीब डेढ़ लाख लोगों की जान चली गई...करोड़ों लोग घर से बेघर हो गए...ये साल आज़ादी के जश्न का साल तो था मगर बंटवारे के दर्द के जख्म भी दे गया था...इस साल यानि कि 1947 में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने 147 फिल्में बनाईं..गौर करने वाली बात ये है कि उन दिनों तब की बंबई आज की मंबई में ही फिल्में नहीं बनती थीं बल्कि लाहौर में भी एक बड़ा फिल्मी हब था.