50 के दशक की बात है, राजेश खन्ना जवान हो रहे थे। कॉलेज में पढ़ने लगे थे। पिता दबाव बना रहे थे कि अब कारोबार संभालो। लेकिन जतिन का मन थिएटर में लगता था, वो एक्टर बनना चाहता था। तभी थिएटर में उसकी किस्मत चमक उठी।
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