बात उस दौर की है जब देव आनंद साहब साल 1971 की बड़ी हिट फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ बनाने की तैयारी में थे. ये वो दौर था जब मुमताज टॉप हीरोइन हुआ करती थीं इसलिए उन्होंने मुमताज को फिल्म में लीड हीरोइन कास्ट करने का मन बनाया, लेकिन बात कहां आकर अटकी की लीड रोल फिल्म में देव साहब की बहन का था. मुमता ने इस किरदार को रिजेक्ट कर दिया और उन्हें दूसरा रोल मिल गया. उस वक्त देव आनंद को ऐसी एक्ट्रेस की तलाश थीं जो फिल्म में उनकी हीरोइन नहीं, उनकी बहन का किरदार निभा सके. लेकिन देव आनंद का चार्म ऐसा था कि हर एक्ट्रेस उनकी हीरोइन बनना चाहती थीं बहन नहीं.