कुछ दिनों बाद कादर ख़ान कुछ सीन लिखकर उनके पास पहुंचे. मनमोहन देसाई ने सारे सीन पढ़े. एक के बाद एक पन्ना पलटते गए और उनमें खो गए. आख़िरी पेज पढ़ने के बाद उन्होंने कादर ख़ान को गले लगा लिया और कहा कि हम साथ काम करेंगे. जब मनमोहन देसाई ने उनसे फ़ीस पूछी तो कादर ख़ान ने अपने हिसाब से 25000 रुपये मांगे. तब मनमोहन ने उनसे कहा 'मैं तुम्हें 1 लाख 25 हज़ार रुपये दूंगा.'