तब तक फिल्म इंडस्ट्री में अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना दोनों के दिन लद चुके थे। नए चेहरों ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी थी। लेकिन इसी बीच साल 1984 के आम चुनाव में अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद सीट जीत कर सियासत में एंट्री मारी थी और एक बड़ी लकीर खींची। उसी साल सुनील दत्त भी चुनाव जीते थे। लेकिन सियासत से जल्दी ही अमिताभ बच्चन का मोह भंग हो गया और उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली। बोफोर्स तोप घोटाले में नाम आने से भी अमिताभ निराश थे। तभी राजेश खन्ना को राजीव गांधी ने सियासत का न्योता दिया।