ये किस्सा 20 मई 1991 से शुरू होता है, वो दिन जब दिल्ली की नई दिल्ली लोकसभा सीट ने राजेश खन्ना और लाल कृष्ण आडवाणी के लिए वोट डाले। अगले दिन एक तस्वीर अखबारों में छपी जिसमें काका के साथ राजीव गांधी और सोनिया गांधी भी नज़र आए और दुर्भाग्य से उसी दिन यानि कि 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी गई।