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Description

साल 1977 में भी राजेश खन्ना उसी तरह की फिल्में करते रहे जो शायद उन्हें नहीं करना चाहिए था। काका ने फिल्म का चयन सही से नहीं किया। जिसका नतीजा ये हुआ कि उनकी फिल्मों ने दर्शकों पर असर दिखाना बंद कर दिया। फिल्म आशिक हूं बहारों का, आईना, जनता हवलदार और पलकों की छांव में.. ये कुछ ऐसी फिल्में थीं जो राजेश खन्ना को नहीं करनी चाहिए थीं।