साल 2000 आते आते राजेश खन्ना का सियासत से मोह भंग हो गया था। फिल्मों में कुछ बड़ा करने की चाहत खत्म नहीं हुई थी मगर अब जवानी बीत चुकी थी। वैसे मौके राजेश खन्ना को नहीं मिल रहे थे जैसे अमिताभ बच्चन के पास थे। इसी बीच राजेश खन्ना को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के लिए चुना गया जो सम्मान से ज्यादा अपमान महसूस हुआ। वजह थी इस सम्मान का बहुत देर से मिलना।