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Description

सब लोग पाँव-पाँव चलें। वहाँ पहुँचकर किस तरह बातें शुरू होंगी, किस तरह तारीफों के पुल बाँधो जाएंगे, किस तरह ड्रामेटिस्ट साहब को खुश किया जायगा, इस पर बहस होती जाती थी। हम लोग कम्पनी के कैंप में कोई दो बजे पहुँचे। वहाँ मालिक साहब, उनके ऐक्टर, नाटककार सब पहले ही से हमारा इन्तजार कर रहे थे। पान, इलायची, सिगरेट मँगा लिए थे।