एक मर्द पैरासाइट बन कर जीना नहीं चाहता वह लगतार अपनी जिजीविषा के लिए संघर्षरत रहता है लेकिन विनोद दा जैसे कुछ लोग हैं जो जीवन से हार चुके हैंअपने जीने का उद्देश्य खो चुके हैं! और यही विनोद दा की कहानी का निराशाजनक अन्त है।
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