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Description

उस दिन भी रास्तों से कुछ ऐसे ही फिसलकर मैं औंधे मुँह गिरा पड़ा था। सफर से हारते हुए मैंने अपनी आँखे मूँद ली। तभी मुझे एक हँसने की सी आवाज़ सुनाई दी। आँखे खोली तो देखा एक बूढ़ा आदमी, पका हुआ चेहरा, बिखरता सा शरीर, शरीर में भरी पड़ी कई पुरानी और नयी चोटें और उन चोटों से अनवरत बहता मवाद और रक्त...