इस कलीसिया को मसीह येशु ने सिर्फ प्रशंसा दी और जो कुछ दिया गया उसको थामे रखने को कहा। ये कलीसिया उस आदर्श का स्वरूप है जो हर कलीसिया को होना चाहिए।