Right thinking - सही विचारधारा( Voice over - Harsha Thakker)
जब एक इंसान बच्चे के रूप में दुनिया में आता है तो स्थान, दिन, समय, वंश उसके हाथ में नहीं होते हैं। ये सभी ईश्वर के द्वारा ही निर्धारित होते हैं। इनपर उसका कोई अधिकार नही होता है। इसी तरह जब वह दुनिया में आगे बढता है तो उसका ’प्रारब्ध’ अथवा भाग्य अथवा पिछले जन्म के कर्म उसके साथ चलते हैं। इस पर भी उसका कोई वंश नहीं होता है।
परन्तु जब वह बच्चा इस दुनिया में अपनी पारी प्रारम्भ करता है तो दो योग उसके हाथ मेंं होते हैं जो उसके भाग्य विधाता होते हैं तथा जो उसकी जिन्दगी को उपरोक्त पांच योगों के प्रभाव अथवा चक्र से बाहर कर देते हैं उनमें प्रथम योग प्रार्थना है जो गुरू अथवा ईश्वर के प्रति आस्था, उसकी प्रार्थना एवं उसमें समर्पण का भाव होता है जो किसी भी व्यक्ति के भाग्य को नई दिशा दे सकते हैं। इसी श्रेणी में दूसरा योग पौरूष अथवा पराक्रम का होता है। अगर किसी व्यक्ति का पौरूष अथवा पराक्रम सकारात्मक है तो उसका भाग्य चमकता जायेगा परन्तु अगर पौरूष अथवा पराक्रम नकारात्मक है तो उसका भाग्य पतन की ओर जायेगा।
और ऐसी ही अनेक बातें.. जानने के लिए सुनते रहिए.. टाटा Bby take care.. Save trees🌲🌳🌴