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Description

History of Tape recorder. Voice over - Harsha Thakker थॉमस एडिसन के फोनोग्राफ की खोज के करीब 50 साल बाद विद्युत उपकरण बनाने वाली कंपनी एईजी ने 1935 में बर्लिन के बाजार में मैग्नेटोफोन के1 उतारा. इससे पहले लोग रिकॉर्डिंग का मजा ले चुके थे, लेकिन इसमें नई बात यह थी कि इसमें प्लास्टिक की टेप थी, जिस पर आयरन पाउडर की परत जमाई गई.नए टेप रिकॉर्डर का इस्तेमाल बढ़ता गया. जल्द ही यह बिजली के तार की जगह बैटरी से चलने लगा. ऐसा होने से लोग अब इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकते थे. तस्वीर में दिख रहा है 1963 का टेलीफुंकेन मैग्नेटोफोन 300, जो बैटरी से चलता था और जिसे तारमुक्त होने के कारण कहीं भी ले जाना संभव था. पार्टियों की शान बन गया था टेप रिकॉर्डर. अब रिकॉर्ड बदलने की जरूरत भी नहीं रही, अपनी मर्जी के गाने आगे पीछे रिकॉर्ड किए जा सकते थे. 60 और 70 के दशक में युवा वर्ग ने इसे खूब पसंद किया. यह तस्वीर 1979 में पश्चिम जर्मनी में ली गई थी.संगीत का शुक्रिया

जल्द ही डिजिटल रिकॉर्डिंग ने टेप रिकॉर्डिंग मशीन को बहुत पीछे छोड़ दिया. और उसके बाद सीडी और एमपी3 ने डिजिटल ऑडियो टेप को बाहर का रास्ता दिखा दिया. टेप रिकॉर्डर अब इतिहास का हिस्सा बन गए हैं.

और ऐसी ही अनेक बातें.. जानने के लिए सुनते रहिए.. टाटा Bby bby take care