राजस्थान प्राचीनकाल से हस्तशिल्प के क्षेत्र में विश्व विख्यात रहा है, राज्य में निर्मित कलात्मक वस्तुएँ देश विदेश में बङे चाव से खरीदी जाती हैं। हस्तकला से अभिप्राय हाथ से बनाई जाने वाली कलात्मक वस्तुओं एवं कलाकृतियों से है जो इस कार्य में दक्ष हस्तशिल्पियों अथवा कारीगरों द्वारा बनाई जाती है।
राज्य की प्रमुख हस्तकलाएँ-
🔹 राज्य में कोटा एवं मांगरोल की मसूरिया, मलमल व कोटा डोरा साङियाँ प्रसिद्ध हैं।
🔸 राज्य में बाङमेर का अजरक प्रिन्ट प्रसिद्ध है।
🔹 राज्य में शाहपुरा व नाथद्वारा की फङ पेंटिग्स व पिछवाई, जैसलमेर के कंबल, डूँगरपुर व उदयपुर के लकङी के खिलौने, जयपुर के मूल्यवान एवं अर्द्धमूल्यवान रत्न, मीनाकारी व नक्काशी की वस्तुएँ, पत्थर की मूर्तियाँ, मिट्टी के खिलौने, ब्ल्यू पोटरी व नागरी जूतियाँ, जोधपुर की काशीदादार जूतियाँ (मोजङिया), बटवे, मोठङे, बादला व बन्धेज की ओढ़नियाँ, नाथद्वारा की मीनाकारी व सलमा सितारों व कोटा किनारों से युक्त काम, सवाई माधोपुर के लकङी के खिलौने, खस के पायदान, सांगोनेर व बगरू की हाथ से छपाई, बीकानरे के नमदे, लहरिये व मोण्डे (हथियार के ऊपर का आवरण) प्रसिद्ध हैं।
🔸 प्रतापगढ़ की मीनाकारी थेवा कला कहलाती है।
🔹राज्य में मथानियां (जोधपुर) की मलमल, अकोला के छपाई के घाघरे, जोधपुर की काली, हरी व लाल धारियों की चूङियाँ, चितौङगढ़ की जाजम छपाई, मेङता के खिलौने, जयपुर के पशु-पक्षियों के सैट, बीकानेर व शेखावटी के लकङी के नक्काशीदार सजावटी किवाङ, बीकानेर के उत्तम श्रेणी के ऊन से बनाये गये वियना और फारसी डिजायनों के गलीचे, जोधपुर की जस्ते की मूर्तियाँ, अलवर के पतली परत वाले कागजी बर्तन, जयपुर, उदयपुर व सवाई माधोपुर की लकङी, कुट्टी मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस के खिलौने प्रसिद्ध है।