ज्योतिष में शनि को दंडनायक ग्रह बताया गया है उसकी दशाऔर महादशा में व्यक्ति को बड़े कष्ट उठाने पड़ते है वेसे तो शनि ग्रह की दशा से शांति पाने के लिए बहुत उपाय है लेकिन सरल उपाय इस कथा के वाचन को बताया गया है क्या है शनि के कष्ट जिसके लिए एक अलग से बतायेगे अभी तो पिप्पलाद की कथा सर्व मान्य है की इसके वाचन से
कथा इस प्रकार है की
त्रेता युग में भयंकर आकाल पड़ा लोग अपने जीवन के लिए निवास स्थान छोड़कर अन्यत्र चले गए
कौशिक ऋषि आपने मुनि भी आपने निर्वाह के लिए निवास छोड़कर दुसरे प्रदेश में चले जा रहे थे किन्तु राह की कठिनाई में वे आपने एक पुत्र को वाही मरने के छोड़ गए उनका पुत्र किसी तरह आपने जीवन बचने में सफल हो गया तथा कठिन तपस्या से नारद मुनि को प्रसन्न करने में सफल रहा तो उसने आपने दुखो का कारन पूछा नारद जी ने उसे बताया की तुम्हारी यह दशा शनि ग्रह के कारन हुई है ............