Brigadier Mohammad Usman: Pakistan se Kashmir Chhinane wala Naushera Ke Sher! ki Kahaani
Brigadier Mohammad Usman: पाकिस्तान से काश्मीर छीनने वाले नौशेरा के शेर ब्रिगेडियर उस्मान की कहानी
दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र का हाल बदहाल है. बदहाली से पहले तक जो कुछ उस कब्र पर लिखा था पहले उसे जानते हैं-
"उनकी नियुक्ति 5/10 बलूच रेजिमेंट में थी. जहां उन्होंने देश की आजादी तक सेवाएं दीं. बंटवारे के दौरान उन्हें पाकिस्तानी आर्मी के चीफ के रूप में जॉइन करने का ऑफर दिया गया. लेकिन एक सच्चे देशभक्त की तरह उन्होंने ये ऑफर ठुकरा दिया, और उसी मिट्टी की सेवा में रहने का फैसला लिया जहां उन्होंने जन्म लिया था. ब्रिगेडियर उस्मान ने दिसंबर 1947 में नौशेरा, जम्मू-कश्मीर में 50 (I) पैरा ब्रिगेड की कमान संभाली. ब्रिगेड ने कई बाधाओं के बावजूद नौशेरा में आगे बढ़ते पाकिस्तानी कबायलियों को रोक दिया. इसके बाद उन्होंने झांगर पर दोबारा कब्जा करने के लिए ब्रिगेड का नेतृत्व किया, जिससे हमलावरों पर शिकंजा कस गया."
ये लाइनें उस कब्र पर लिखी हैं, जहां ‘नौशेरा का शेर’ कहे जाने वाले ब्रिगेडियर उस्मान आराम फरमा रहे हैं. उसी कब्र पर जहां भारतीय सेना के इस ब्रिगेडियर को अंतिम विदाई देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू खुद आए थे. ब्रिगेडियर उस्मान 1948 की लड़ाई में शहीद होने वाले सेना के सर्वोच्च अधिकारी थे. मरणोपरांत उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. ब्रिगेडियर उस्मान की नई दिल्ली स्थित कब्र की जो मौजूदा स्थिति है, वो तो आपने सोशल मीडिया पर देख ही ली होंगी. इन सबके बीच आईये अब जानते हैं ब्रिगेडियर उस्मान के बारे में-
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