Greater Glory of God Podcast
प्रस्तुत करता है
बेथलेहेम कि ओर यात्रा
आगमन काल में 26 व्यक्तियों के साथ बेथलेहेम कि ओर यात्रा
आगमन काल विशेष
19 वां दिन - सुलेमान
राजाओं का पहला ग्रन्थ 3
5) गिबओन में प्रभु रात को सुलेमान को स्वप्न में दिखाई दिया। ईश्वर ने कहा, "बताओ, मैं तुम्हें क्या दे दूँ?"
6) सुलेमान ने यह उत्तर दिया, "तू मेरे पिता अपने सेवक दाऊद पर बड़ी कृपा करता रहा। वह सच्चाई, न्याय और निष्कपट हृदय से तेरे मार्ग पर चलते रहे, इसलिए तूने उन्हें एक पुत्र दिया, जो अब उनके सिंहासन पर बैठा है।
7) प्रभु! मेरे ईश्वर! तूने अपने इस सेवक को अपने पिता दाऊद के स्थान पर राजा बनाया, लेकिन मैं अभी छोटा हूँ। मैं यह नहीं जानता कि मुझे क्या करना चाहिए।
8) मैं यहाँ तेरी चुनी हुई प्रजा के बीच हूँ। यह राष्ट्र इतना महान् है कि इसके निवासियों की गिनती नहीं हो सकती।
9) अपने इस सेवक को विवेक देने की कृपा कर, जिससे वह न्यायपूर्वक तेरी प्रजा का शासन करे और भला तथा बुरा पहचान सके। नहीं तो, कौन तेरी इस असंख्य प्रजा का शासन कर सकता है?"
राजाओं का पहला ग्रन्थ8
27) क्या यह सम्भव है कि ईश्वर सचमुच पृथ्वी पर मनुष्यों के साथ निवास करे? आकाश तथा समस्त ब्रह्माण्ड में भी तू नहीं समा सकता, तो इस मन्दिर की क्या, जिसे मैंने तेरे लिए बनवाया है!
28) प्रभु, मेरे ईश्वर! अपने सेवक की प्रार्थना तथा अनुनय पर ध्यान दे। आज अपने सेवक की पुकार तथा विनती सुनने की कृपा कर।
29) तेरी कृपादृष्टि दिन-रात इस मन्दिर पर बनी रहे- इस स्थान पर, जिसके विषय में तूने कहा कि मेरा नाम यहाँ विद्यमान रहेगा। तेरा सेवक यहाँ जो प्रार्थना करेगा, उसे सुनने की कृपा कर।
30) जब इस स्थान पर तेरा सेवक और इस्राएल की समस्त प्रजा प्रार्थना करेगी, तो उनका निवेदन स्वीकार करने की कृपा कर। तू अपने स्वर्गिक निवासस्थान से उनकी प्रार्थना सुन और उन्हें क्षमा प्रदान कर।
उपदेशक ग्रन्थ01
1) दाऊद के पुत्र, येरूसालेम के राजा उपदेशक के वचन
2) उपदेशक कहता है, "व्यर्थ ही व्यर्थ; व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।"
3) मनुष्य को इस पृथ्वी पर के अपने सारे परिश्रम से क्या लाभ?
4) एक पीढ़ी चली जाती है, दूसरी पीढ़ी आती है और पृथ्वी सदा के लिए बनी रहती है।
13) मैंने आकाश के नीचे जो कुछ घटित होता है, उसकी छानबीन और खोज करने में अपना मन लगाया। यह एक कष्टप्रद कार्य है, जिसे प्रभु ने मनुष्यों को सौंपा है।
14) मैंने आकाश के नीचे का सारा कार्यकलाप देखा है- यह सब व्यर्थ है और हवा पकड़ने के बराबर है।
18) क्योंकि प्रज्ञा के बढ़ने के साथ-साथ दुःख भी बढ़ता है और जितना अधिक ज्ञान बढ़ता है, उतना अधिक कष्ट भी होता है।
राजाओं का पहला ग्रन्थ 11
3) उसके यहाँ सात सौ राज-परिवार की पत्नियाँ और तीन साँ उपपत्नियाँ थीं। इसकी उन पत्नियों
ने उस को बहकाया।
4) जब सुलेमान बूढ़ा हो गया, तो उसकी पत्नियों ने उस से अन्य देवताओं की उपासना करवायी।
वह अपने पिता दाऊद की तरह प्रभु के प्रति पूर्ण रूप से ईमानदार नहीं रहा ।
6) उसने वह काम किया, जो प्रभु की दृष्टि में बुरा है और वह अपने पिता की तरह प्रभु के प्रति
ईमादार नहीं रहा।
11) प्रभु ने सुलेमान से कहा, "तुमने यह काम किया- तुमने मेरे विधान और मेरे दिये आदेशों का
पालन नहीं किया, इसलिए मैं तुम से राज्य छीन कर तुम्हारे सेवक को दे दूँगा।
13) मैं सारा राज्य भी नहीं लूँगा। मैं अपने सेवक दाऊद और अपने चुने हुए नगर येरूसालेम के
कारण तुम्हारे पुत्र को एक ही वंश प्रदान करूँगा।