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भारत में बढ़ते जा रहे हैं आपराधिक छवि वाले सांसद
एक रिपोर्ट के मुताबिक इन लोकसभा चुनावों में जीतने वाले प्रत्याशियों में से 46 प्रतिशत ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. आखिर भारत में चुनाव दर चुनाव ऐसे सांसदों की संख्या बढ़ती क्यों जा रही है?
लोकतंत्र में सुधार के मुद्दों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने इन लोकसभा चुनावों में जीतने वाले सभी प्रत्याशियों के हलफनामों का अध्ययन कर यह जानकारी निकाली है.
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 543 जीतने वाले प्रत्याशियों में से 46 प्रतिशत (251) प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इसके अलावा सभी जीतने वाले प्रत्याशियों में 31 प्रतिशत (170) ऐसे हैं जिनके खिलाफ बलात्कार, हत्या, अपहरण आदि जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
27 जीतने वाले प्रत्याशी ऐसे हैं जो दोषी भी पाए जा चुके हैं और या तो जेल में हैं या जमानत पर बाहर हैं. चार जीतने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या के मामले, 27 के खिलाफ हत्या की कोशिश के मामले, दो के खिलाफ बलात्कार, 15 के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराध, चार के खिलाफ अपहरण और 43 के खिलाफ नफरती भाषण देने के मामले दर्ज हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी साफ पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी की जीतने की संभावना सिर्फ 4.4 प्रतिशत है, जबकि आपराधिक मामलों का सामना कर रहे प्रत्याशी की जीतने की संभावना 15.3 प्रतिशत है.
बीजेपी के 240 विजयी प्रत्याशियों में से 39 प्रतिशत (94), कांग्रेस के 99 विजयी प्रत्याशियों में से 49 प्रतिशत (49), सपा के 37 में से 57 प्रतिशत (21), तृणमूल कांग्रेस के 29 में से 45 प्रतिशत (13), डीएमके के 22 में से 59 प्रतिशत (13), टीडीपी के 16 में से 50 प्रतिशत (आठ) और शिवसेना (शिंदे) के सात में से 71 प्रतिशत (पांच) प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. आरजेडी के 100 प्रतिशत (चारों) प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
स्थिति को राज्यवार देखें तो केरल सबसे आगे है, जहां विजयी प्रत्याशियों में से 95 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. उसके बाद तेलंगाना (82 प्रतिशत), ओडिशा (76 प्रतिशत), झारखंड (71 प्रतिशत) और तमिलनाडु (67 प्रतिशत) जैसे राज्यों का स्थान है.
इनके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, गोवा, कर्नाटक और दिल्ली में 40 प्रतिशत से ज्यादा विजयी प्रत्याशी आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.
एडीआर की रिपोर्ट दिखा रही है कि चुनाव दर चुनाव ऐसे सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है जिनके खिलाफ आपराधिक और गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. 2009 में लोकसभा में आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या 30 प्रतिशत थी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 134 मौजूदा सांसद और विधायक महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों का सामना कर रहे हैं. इन अपराधों में छेड़छाड़, क्रूरता, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़की को खरीदने से लेकर बलात्कार तक के मामले शामिल हैं.
दागी जन प्रतिनिधि
एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल 134 मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं. यह रिपोर्ट चुनावी सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर ने इन जन प्रतिनिधियों के हलफनामों के आधार पर बनाई है.
गंभीर अपराध
इन 134 जन प्रतिनिधियों में से 21 सांसद हैं और 113 विधायक हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में लज्जा भंग करने के आशय से महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, जबरन विवाह कराने के लिए अपहरण, पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़की को खरीदना और बलात्कार जैसे मामले शामिल हैं.
सबसे ज्यादा मामले बीजेपी में
ऐसे जन प्रतिनिधियों की सबसे ज्यादा संख्या बीजेपी में है. जहां बीजेपी में ऐसे 44 सांसद और विधायक हैं, वहीं कांग्रेस में 25, आम आदमी पार्टी में 13, तृणमूल कांग्रेस में 10 और बीजेडी में ऐसे आठ सांसद और विधायक हैं.
पश्चिम बंगाल में बुरा हाल
इस तरह के 26 जन प्रतिनिधियों के साथ राज्यवार सूची में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है. उसके महाराष्ट्र और ओडिशा में ऐसे 14, दिल्ली में 13, आंध्र प्रदेश में नौ और बिहार में आठ सांसद और विधायक हैं.
बलात्कार के आरोप
सभी 134 जन प्रतिनिधियों में से कम से कम 18 के खिलाफ बलात्कार के मामले दर्ज हैं. इनमें चार सांसद और 14 विधायक हैं, जिनमें से सात बीजेपी में, छह कांग्रेस में और आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस में एक-एक हैं.
लगनी चाहिए रोक