75वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई!
स्वतंत्रता और स्वाधीनता की भावना के प्रदीप्त प्रतीक हैं महाराणा प्रताप, जिन्होंने सम्राट अकबर की पराधीनता स्वीकार नहीं की थी।
मेवाड़ को स्वतंत्र रखने के लिए जंगल-जंगल घूमना मंजूर किया था.
लोकश्रुति है कि इस प्रवास के दौरान एक कमजोर क्षण ऐसा आया जब अपने पुत्र अमर सिंह को रोटी के लिए बिलखते देखा तो अकबर को संधि-प्रस्ताव लिख भेजा. परन्तु अकबर के दरबार में नियुक्त कवि-योद्धा, बीकानेर के वीर पीथल के प्रबल आह्वान ने उनके अन्दर के योद्धा को फिर जागृत कर डाला.
राजस्थानी कवि कन्हैया लाल जी सेठिया की अति-लोकप्रिय वीर-रस की राजस्थानी कविता 'पातळ और पीथल" यही कहानी कहती है.