Listen

Description

धूमिल विद्रोह के कवि हैं जिन्होंने सत्ता के शोषण और समाज की विसंगतियों को अपनी कविताओं में ढाला। “मोचीराम” जूते बनाने वाले एक कारीगर से वार्तालाप के ज़रिये यही कुछ कहती एक कविता है।