…“जनता क्या है?
एक शब्द… सिर्फ़ एक शब्द है :
कुहरा, कीचड़ और काँच से
बना हुआ…
एक भेड़ है
जो दूसरों की ठंड के लिए
अपनी पीठ पर
ऊन की फ़सल ढो रही है।”…
धूमिल की पुण्यतिथि पर उनकी कविता का अंश सुनिये…
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