अयोध्या के राजकुमार राम के, जननायक - मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम में बदलने की कीमिया कहाँ से शुरू होती है?
मेरे देखे यह प्रस्थान बिंदु तब है जब रानी कैकेयी अपने वचनों से बंधे सम्राट दशरथ से दो वर माँगती हैं और राम को वनवास का आदेश होता है।
साथ ही, पारंपरिक रूप से खलनायिका समझी गयी कैकेयी में मुझे एक स्वाभिमानी नारी दिखाई देती है।
मेरे पॉडकास्ट के आज के एपिसोड में नरेंद्र कोहली जी के रामकथा पर आधारित उपन्यास “अवसर” का यही अंश पढ़ रहा हूँ जिसमें कैकेयी राम को वनवास माँग रहीं हैं ।
(कवर चित्र 1916 में छपी कन्नड़ सचित्र रामायण से लिया है। चित्रकार औंध महाराष्ट्र के महाराजा भवनराव श्रीनिवास राव हैं)