ये एपिसोड उर्दू के बेहतरीन व्यंग्यकार मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी के उपन्यास “मेरे मुँह में ख़ाक” के एक अंश का पाठन है।
इस अंश में वे अपने प्यारे कुत्ते सीज़र का क़िस्सा, या कहें कि जीवनी, बयान कर रहे हैं। यूसुफ़ी साहब पाकिस्तान के चोटी के साहित्यकारों में से है पर उनके क़द्रदान सरहद के दोनों ओर हैं।
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