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Description

सुप्रभातम गुणिजन
नए साल का पदार्पण होने ही वाला है हर साल हम संकल्प लेते हैं हम कितना उसे पूरा कर पाते हैं यह इस बात पर निर्भर है कि हम कितने अनुशासित हैं
समय तो समय है समय में समय बदलता है समय बढ़ता है समय पुकारता है समय निहारता नहीं समय बढ़ता चला जाता है समय की गति अबाध्य है
समय सी कोई शिक्षा नहीं
समय सा कोई शिक्षक नहीं
समय सा कोई साथी नहीं
समय सा कोई ग्रंथ नहीं
समय सा कोई अपना नहीं और
समय से कोई ऊर्जा नहीं
समय ऐसा कोई मार्गदर्शन नहीं
समय ऐसा कोई संत नहीं
यदि हम समय का सिर्फ 75% भी सदुपयोग कर लें तो हमारी गिनती विश्व के महानतम लोगों में हो सकती है और यही तो हमारी चाहत होती है हम महानतम बने लेकिन उसके लिए संघर्ष भी हमें ही करने होंगे खुद को उस योग्य बनाने के लिए
आपका वेद कबीरा निरंतर प्रयत्नशील है समय-सा
वंदे साहसम 🌞
वंदे मातरम भूमि🪖🇮🇳🌳