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Description

मेरे प्यारे वेद कबीरा पॉडकास्ट के सुनने वालो हमारी जो इंद्रियां है हमारे शरीर के जो मुख्य अंग है कान आंख नाक त्वचा बाल यह सभी स्पष्ट से दृश्य से सुनने से छूने से चीजों को पहचानते हैं यह विशेषता हमारे यहां गर्ग से ही उत्पन्न होने लगती है और पैदा होने के बाद आहिस्ता आहिस्ता बढ़ने लगती है अब हम बहुत छोटे होते हैं तो जो सुनते हैं जो देखते हैं जो छूते हैं उसमें ज्यादातर हमारे माता-पिता और हमारे आसपास के लोगों का दखल होता है यानी जैसा वह चाहते हैं हमें महसूस करना यह मीठा है यह खट्टा है छोटे बच्चों को सिर्फ खाना अच्छा लगता है क्योंकि 9 महीने गर्भ में उसने लगभग उपवास वाला जीवन जिया होता है अब स्थान जो हम बचपन से सीखते हैं जैसे हमारे मात पिता ने हमें आसपास की चीजों का ज्ञान कराया वही सुनकर देखकर छूकर समझकर हम सच्चा समझने लगते हैं और वहीं से शुरू होती है अच्छाइयां सब करने वाली त्याग वाली निष्ठा वाली करवट्टा वाली खूब मेहनत करने वाली पढ़ने लिखने वाली और वहीं से बुराइयां शुरू होती है हालात से वाली क्रोध वाली झूठ चुगली वाली घृणा वाली घमंड वाली .......................
हर जगह स्कूल जाने लगते हैं तो और बच्चों से वहां के वातावरण से फिर हम जब बड़े होते हुए खुद सोचने लगता है चीजों को समझने लगते हैं तो हम होना चाहिए को या बुराइयों को और बढ़ते हैं या उन दोनों में तालमेल बैठाने की कोशिश करते हैं ताल मेल वैसे अच्छाई और बुराई में कभी भी नहीं होता
यह एक निरंतर संघर्ष है जैसे कि जीवन भी एक संघर्ष खुशी को पाना संघर्ष है बुराई को पाने के लिए अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ता से स्वीकार कर लेना पड़ता है लेकिन खुशी और स्वास्थ्य के लिए बहुत मेहनत ज्ञान और निष्ठा की जरूरत है
वर्तमान नवयुवक या इस तरह की बातों को सुनने के ना तो आती है नहीं उन्हें अच्छा लगता है इसे वह कहते हैं बस बहुत हो गया पापा "ज्ञान मत बांटिए " या मेरी टीचर ज्ञान बहुत बांटती है और इसका कारण है फास्ट फूड सभ्यता इंटरनेट सभ्यता हमें हर चीज फास्ट चाहिए तेजी से चाहिए मुझे तो यह शक है के आने वाले समय में लड़के और लड़कियां विवाह में तो अभी भी अधिकतर विश्वास नहीं रखते लिव इन रिलेशनशिप में भरोसा रखते हैं हो सकता है वह कल का है कि बच्चा 9 महीने में क्यों 9 दिन में क्यों नहीं मिर्ची और पैदा होगा हम मशीनों में रखकर उसको ठीक कर लेंगे हम कुछ डिजिटल इंपैक्ट उसे पर डालेंगे तब तक भरोसा है कि विज्ञान भी कुछ ना कुछ और नए आविष्कार कर लेगा