सआदत हसन मंटो अपने वक्त के खोखलेपन और विसंगतियों को बखूबी पहचानते थे. तभी तो वो कहते थे, ‘मुझमें जो बुराइयां हैं दरअसल वो इस युग की बुराइयां हैं. मेरे लिखने में कोई कमी नहीं. जिस कमी को मेरी कमी बताया जाता है वह मौजूदा व्यवस्था की कमी है. मैं हंगामापसंद नहीं हूं. मैं उस सभ्यता, समाज और संस्कृति की चोली क्या उतारुंगा जो है ही नंगी.’ #Manto #Story #कहानी