ये स्तोत्र गरुण पुराण से संगृहीत है |इसमें भगवान विष्णु ओर रूद्र भगवान के बीच हुयी वार्ता के अंश हैं | पञ्जर का अर्थ है कवच अथार्थ ये एक रक्षा कवच स्तोत्र है जिसका प्रत्येक एकादशी को पाठ करना चाहिए |
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