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Description

हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम् |
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्र्चयः || ३७ ||

हतः– मारा जा कर; वा– या तो; प्राप्स्यसि– प्राप्त करोगे; स्वर्गम्– स्वर्गलोक को; जित्वा– विजयी होकर; वा– अथवा; भोक्ष्यसे– भोगोगे; महीम्– पृथ्वी को; तस्मात्– अतः; उत्तिष्ठ– उठो; कौन्तेय– हे कुन्तीपुत्र; युद्धाय– लड़ने के लिए; कृत– दृढ; निश्र्चय– संकल्प से |

हे कुन्तीपुत्र! तुम यदि युद्ध में मारे जाओगे तो स्वर्ग प्राप्त करोगे या यदि तुम जीत जाओगे तो पृथ्वी के साम्राज्य का भोग करोगे | अतः दृढ़ संकल्प करके खड़े होओ और युद्ध करो |

तात्पर्यः यद्यपि अर्जुन के पक्ष में विजय निश्चित न थी फिर भी उसे युद्ध करना था, क्योंकि यदि वह युद्ध में मारा भी गया तो वह स्वर्गलोक को जायेगा |