जब- जब पृथ्वी पर धर्म का नाश होता है अधर्म बढ़ता है, मानवता को खतरा होता है। तब-तब पृथ्वी के पालक भगवान विष्णु किसी न किसी रुप में नये अवतार ( जन्म ) लेकर संसार एवं मानवता की रक्षा करते हैं। महावराह विष्णु का तीसरा अवतार है। इसे आदि वाराह, आदि शूकर तथा क्रोड आदि नामों से भी जाना जाता है। तैतरीय आरण्यक का कथन है कि जल में डूबी हुई पृथ्वी को सौ भुजाओं वाले शूकर ने बाहर निकाला। रामायण में पृथ्वी को उठाने वाला वाराह रुप ब्रहमा का माना गया है। महाभारत में कहा गया है कि संसार का हित करने के लिए विष्णु ने वाराह रुप धारणकर हिरणाक्ष का बध किया। रसातल में धंसी हुई पृथ्वी का पुनः उद्धार करने के लिए वे इस रुप में अवतरित हुए।