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Description

तुम दूर होते काश

तेरी कशिश में कट जाती जिंदगी की रातें

तेरी बेरुखी में बीत जाता मीलों का सफ़र

तेरी यादों में तन्हा डूब जाती मेरी शाम

तुम दूर होते काश, ना मिलते इधर उधर

सपने की तरह बिखर जाती तुम्हारी आस

सदियों तक बेक़रार रहती तुम्हारी जुस्तजू

ग़ज़ल में ढल जाता तुम्हारा फ़ितूर, जज़्बा

अनजान हो जाती तुम, टूटा फूटा सा राब्ता

ना गुमान होता कि तुमको भी याद आता हूँ

ना ख़लिश सी उभरती दफ़अतन  सीने में

ना सूखे फूलों में आती बहार की ख़ुशबू 

तुम गुम रहती लापता, ना फ़ॉलो करती अगर...

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